सोमवार, 4 जनवरी 2010

A Hunger Strike against violence by a stone cutter community in Lucknow.


Lucknow, December 3, 2009. We were getting regular complain of violence by a stone cutter community in Lucknow. We tried to convince them that violence is not a solution. In last two weeks, situation has got worsened as violence by stone pleating and poisoning of cattle's were being reported regularly. We decided to have a meeting with them on 3rd of January. But unfortunately, in our presence they start once again fighting with each other. At that moment we had only two options, first asking Police to control by force, but philosophically I am against it as morality can not be presumed by outer force or law. I believe that morality is subject of inner conscious and can be teach by example and regular practice.
So, we decided to go for hunger strike until they do not hug each other and promise us that they will not involve in violence anymore. In hunger strike I was accompanied by Chuuni Lal, Salil Srivastava, Udai Raj, and Neelkamal.
I would love to call it victory of Gandhian Philosophy and our mentor Sri Sandeep Pandey [ Social Activist & Magsaysay award winner], that after almost 12 hours strike they agreed on non violence, and promised us in written that they will not drink liquor, will not gamble, and will respect their girls and wives.
In our definition of Non-violence we have included domestic violence too.
I am attaching the agreement paper with few photographs.
They agreed on following points,-
1. Total prohibition of Gambling
2. Total prohibition of Liquor
3. Total prohibition of Domestic violence
4. Adoption of non-violence
5.Following the highest standard of Asha Parivar, our organisation.

We are also experimenting by electing a women committee [ MAHILA PANCHAYAT], who will work as their own court of settlement on various disagreements and disobeying of agreement.
Names of members of MAHILA PANCHAYAT,-----
ZINAT
SHAKUNTALA

NASEEMA
KALIMN
LAJJAWATI
.
Lets pray for the success of first this type of MAHILA PANCHAYAT.

भाइयों ने नहीं दिया मुखाग्नि, तो पत्नी ने दिया पति को मुखाग्नि

                      भाइयों  ने नहीं दिया मुखाग्नि,  


  तो पत्नी ने दिया पति को मुखाग्नि 
लखनऊ: २6 दिसम्बर २००९ दिन शुक्रवर को ग्राम मुर्दापुर, पोस्ट-शाहपुरभभरौली, थाना-काकोरी, जिला- लखनऊ में यह नजारा देखने को मिला, जहाँ पर भाइयों ने अपने ही भई को मुखाग्नि देने से इंकार कर दिया. फिर मजबूरन पत्नी को अपनी नवजात पुत्र  को अपनी गोद में लेकर मुखाग्नि देना पड़ा. 
यह वाकया थाना काकोरी के ग्राम मुर्दापुर, जिला लखनऊ का है जहाँ पर बेचालाल अपनी पत्नी श्रीमती पच्चो और एक बेटे उम्र ०३ वर्ष थी रहा रहे थे. बीते २५ दिसम्बर २००९ की रात में बेचालाल का देहांत हो गया. वह काफी दिनों से कैंसर पीड़ित थे. अपनी जमीन बेचकर किसी प्रकार से अपना इलाज कर रहे थे. उनके फेफड़ों में मवाद बन गया था जिसे ठीक कराना उनके बस के बाहर था. किसी प्रकार से दवाई चलती रही और वह दो महीने जिन्दा रहे. इसी दौरान जब उन्हें पैसे की कमी महसूस दी तो  उन्होंने अपनी जमीन बेंच दी. जमीनी इलाज के लिए बेंची थी लेकिन भाइयों ने उनसे कहा की आप ने जमीन ज्यादा की बेंची है. अगर हमें उसमें से कुछ हिस्सा दें तो मैं आप की देखभाल करूँगा अन्यथा नहीं. यह बात बेचालाल और उनकी पत्नी पच्चो को नागवार गुजरी. उन्होंने हिस्सा देने से मनाकर दिया और कहा कि हम अपने इलाज के लिए जमीनी बेचीं है. इसमें से पहले मैं अपना इलाज करा लूगा. उसके बाद जो बचेगा उसे देखा जायेगा. इसी दौरान बेचालाल ने कुछ पैसे लगाकर अपना घर पक्का बना लिया. यह बात भाइयों को नागवार गुजरी और उन्होंने कहा कि जब आप मरेंगे तो मैं तुम्हे मुखाग्नि तक नहीं दूंगा.
ठीक वैसा ही हुआ कि जब उनकी मृत्यु २५ दिसम्बर की रात हुयी और अंतिम संस्कार  २६ दिसम्बर २००९ को होने के लिए हुआ तो भाइयों ने मना कर दिया. बल्कि सभी रिश्तेदारों ने भी उनके भाइयों को समझाया. फिर भी वह नहीं डिगे. अंत में गावंवालों के कहने पर पत्नी पच्चो ने अपने ३ वर्षीय बच्चे को लेकर अपने पति को मुखाग्नि दी. यह दर्द नाक घटना देख कर मैं दांग रह गया कि पैसे के खातिर भी खून के रिश्ते बदल सकते हैं.

लेखक: चुन्नीलाल email: chunnilallko@gmail.com

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